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बच्चे का पहला दांत आते ही हो जायें अलर्ट ! [Oral Health Care Tips in Hindi]

जी मनी के ज़रिये आप भर सकते हैं अपने हॉस्पिटल का बिल, 12 किश्तों में, बिना किसी ब्याज के|

Doctor

Dr. Shailesh Dasari

Hospital / Clinic

Dr. Dasari’s Dental, Hair and Skin Clinic, Mumbai, Maharashtra

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Duration : 10:40 minutes

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GMoney Anchor - जीमनी हेल्थ शो में मैं नेहा बजाज आप सभी का बहुत-बहुत स्वागत करती हूँ और आज के वीडियो में हमारे साथ जुड़ रहे हैं डॉक्टर शैलेश जो कि एक डेंटिस्ट है और साथ-साथ ओरल हेल्थ एजुकेटर भी हैं, ये बताते हुए मुझे बेहद खुशी हो रही है की वो फाउंडर हैं मेरी हँसी मेरी खुशी प्रोग्राम के, जो की बच्चों के लिए स्कूल हेल्थ प्रोग्राम है। डॉक्टर शैली आपका बहुत-बहुत स्वागत है।

Dr. Shailesh Dasari – थैंक यू सो मच।

oral hygiene tips and tricks

GMoney Anchor - सबसे पहले आप हमें बताएं ओरल हेल्थ कितनी ज़रूरी है? बच्चों का डेंटल चेकअप कितना ज़रूरी है?

Dr. Shailesh Dasari – बच्चों के दांतों में सड़न काफी ज़्यादा मात्रा में दिखाई देती है। हमारे पैरेन्ट्स को स्वीट चॉकलेट इतनी आसानी से नहीं मिलती थी। वे स्टिकी फूड नहीं खाते थे जो बच्चों के पास आज आसानी से उपलब्ध । आजकल माता-पिता खुद बच्चों को चॉकलेट या आइसक्रीम की आदत डाल देते हैं।

GMoney Anchor - कुछ माता-पिता ऐसा सोचते हैं की मिल्की टीथ यानी दूध के दांत अगर ख़राब हो जाएँ तो कोई फर्क नहीं पड़ेगा क्योंकि वो दांत तो टूट जाएंगे और उसकी जगह नए दांत आने वाले हैं। इसलिए वे इतना ध्यान नहीं देते हैं। आप क्या कहेंगे इस बारे में?

Dr. Shailesh Dasari – बच्चों के दूध के दांत गिरते-गिरते कम से कम 10 से 12 साल लग जाते हैं । हमे वो टाइम तक बच्चों के दांतों को संभाल के रखना काफी जरूरी होता है क्योंकि जब दांत गिरने लग जाते है तो बच्चा खाना प्रॉपर्ली नहीं खा पाता है। जब आगे के 7 दांत गिर जाते हैं तो बोलने में भी दिक्कत होती है। कई बार सामने से देखने पर भी अच्छा नहीं दिखता तो बच्चों का कॉन्फिडेन्स कम कर देता है। बच्चे मुँह पे हाथ रख के बात करते हैं या काफी समय तक बात ही नहीं करते या मुँह खोलते ही नहीं हैं। सो उस वजह से बच्चों के दूध के दांत संभालना भी ज़रूरी है।

GMoney Anchor - बिलकुल आपने बड़े अच्छे से हमें समझाया। अच्छा सर क्या ऐसा है की अगर बचपन से ही ओरल हेल्थ पे ध्यान ना दें तो आगे चलकर सड़न, सेन्सिटिविटी बढ़ने लग जाती है?

Dr. Shailesh Dasari – अगर हम शुरू से ही बच्चों को अच्छी आदतें सिखाएं, दिन में दो बार ब्रश करना है, खाने के बाद कुल्ला करना है या डेंटिस्ट के पास हर छह महीने में एक बार डेंटिस्ट के पास जाना है तो उनके मन में डेंटिस्ट के प्रति डर नहीं होगा। उन्हें कैविटी नहीं होगी। माता पिता भी  दो बार ब्रश करना शुरू करें तब आपके बच्चे भी दो बार ब्रश करना शुरू करेंगे। क्योंकि बच्चे अपने माता पिता से ही सीखते हैं । उस हिसाब से अगर माँ बाप भी दो टाइम ब्रश करने की आदत डाल लें तो बच्चों को सिखाने की कोई ज़रूरत नहीं है। वो डेफिनेटली अपने आप फॉलो करने लग जाएंगे।

GMoney Anchor - ओरल हेल्थ बेहतर बनाने में स्कूल का क्या योगदान हो सकता है?

Dr. Shailesh Dasari – जैसा कि मैंने कहा की शुरुआत के जो साल होते हैं, जहाँ बच्चे एबीसीडी सीख रहे हैं, जहाँ बच्चे उनके बिल्डिंग ब्लॉक्स ऑफ लाइफ सीख रहे हैं, कल होमवर्क करके आना है, रोज़ होमवर्क करना है। 

उसके साथ अगर टीचर यह भी बता दें की रात को याद से ब्रश करना है तो उससे बहुत फ़ायदा होगा। हमें लगता है कि सिर्फ सुबह अगर ब्रश कर लिया तो हो गया बट वी शुड डेफिनेटली टेक केयर की नाइट में भी ब्रशिंग हो।

GMoney Anchor - अच्छा सर हमारी ये सोच होती है की चलो दूध के दांत हैं, गिर ही जाएंगे, सड़न लग भी गयी तो छोड़ो। आपके हिसाब से मिल्की टूथ की क्या अहमियत है? पैरेंटस को क्या कहना चाहेंगे आप?

Dr. Shailesh Dasari – पैरेंटस को खास ये कहना चाहूंगा की नज़रअन्दाज़ न करें। जब तकलीफ होगी तब देख लेंगे, थोड़ा सा लगा है उसको छोटा सा फिलिंग कर देंगे तो वो प्रॉब्लम वही पे सॉल्व हो जाती है। बट पैरेन्ट्स ये चीज़ नहीं समझ पाते हैं। जब सर्दी खांसी होगी तभी डॉक्टर के पास जाएंगे ना, ऐसे ही क्यों डॉक्टर के पास जाएंगे? सो आज ये प्रोग्राम के थ्रू अटलीस्ट हर पैरेन्ट को या हर व्यूअर को ये सुझाव देना चाहूंगा। किसी भी चीज़ का हम सही समय पर ट्रीटमेंट करना शुरू कर दें, तो फायदा होता ही है।  बच्चों के दांतों में सड़न ना लगने दें जैसे कि फ्लोराइड ट्रीटमेंट होता है, वो भी करवा सकते हैं। जो छोटे-छोटे क्रैक्स होते हैं, उनको भरने के लिए भी एक छोटा सा सीमेंट आता है। उसकी वजह से भी दांतों की सड़न दूर हो सकती है । ओरल हेल्थ को लेकर इंडियन पैरेन्ट्स इतने जागरूक नहीं हैं। इसलिए मैं मानता हूँ की शायद उन्हें इस चीज़ का अनुभव नहीं है।

GMoney Anchor - जितने लोग फिलहाल इस वीडियो को देख रहे हैं उन्हें बहुत अच्छा लग रहा होगा। कई आदतें सुधारी जा सकती हैं।

Dr. Shailesh Dasari – जैसे की मैंने पहले भी इस चीज़ के बारे में बताया है की हमें हमेशा प्रिवेन्टिव फ्रंट पे रहना चाहिए। हर छह महीने में एक डेंटल चेकअप होना चाहिए। दांत की प्रॉब्लम पर हम ध्यान नहीं देते हैं अगर हार्ट की बिमारी हुई तो तुरंत  डॉक्टर के पास जाएंगे, या कभी वज़न बढ़ गया तो उसके लिए हम जिम चले जाएंगे। बिना कुछ देखे सोचे समझे। लेकिन दांतों में दर्द या कोई तकलीफ़ होगी तो हम लकड़ी डालकर साफ कर लेंगे। यह खुद इलाज करने की हमारी आदत बहुत बेकार है।

GMoney Anchor - आपने अपने बीज़ी स्केड्यूल से कीमती वक्त निकाला, अपने प्रोग्राम के बारे में भी हमें बताया। हेल्थ शो की पूरी टीम की तरफ से आपका शुक्रिया अदा करते हैं। आप हमारे शो में हमारे साथ जुड़े। थैंक यू सो मच। तो ये डॉक्टर शैलेश दसारी जिन्होंने हमें कई सारे टिप्स बताए। उन्होंने हमें ये बताया की देखिये बच्चो में जो भी डेंटल केयर की अच्छी आदतें बचपन से डालेंगे तो वो हमेशा रहेंगे। आपको आज का वीडियो बहुत पसंद आया होगा। अपना फीडबैक ज़रूर दीजियेगा। किसी और विषय पर चर्चा देखना चाहते हैं, वो भी हमें बताएं। इसी के साथ मैं नेहा बजाज आपसे लेती हूँ इजाज़त। मिलेंगे जीमनी हेल्थ शो के एक एपिसोड में, नए सुपर स्पेशलिस्ट के साथ। अच्छी सेहत हमारा वादा।

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