Home » पीलिया में रोगी को क्या खाना चाहिए ? [Jaundice diet in hindi]
जी मनी के ज़रिये आप भर सकते हैं अपने हॉस्पिटल का बिल, 12 किश्तों में, बिना किसी ब्याज के|
पीलिया एक ऐसी बीमारी है जिसका सही इलाज बहुत ज़रूरी है। बेहद ज़रूरी है की पीलिया के मरीज़ एक स्वस्थ डाइट लें ताकि जल्द से जल्द तबियत बेहतर हो सके। इस ब्लॉग में डॉक्टर अनंत खांगटे दे रहे हैं पीलिया से जुड़ी अहम जानकारी।
Doctor | Dr. Amit Motwani |
Hospital / Clinic | Saraswati Dental Clinic, Mumbai |
Watch Full Interview on Youtube | Link to Full Interview Duration : 11.10 minutes |
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Dr. Anant Khangte – हैलो थैंक यू सो मच।
Dr. Anant Khangte – पहले तो ये जानना ज़रूरी है कि पीलिया एक बीमारी नहीं है। ओके, ये एक बीमारी का लक्षण हो सकता है। हमारे शरीर में बिलीरुबिन होता है जिसे बाइप्रोडक्ट ऑफ ब्लड माना जाता है। आम भाषा में जॉन्डिस को पीलिया कहते हैं। जब बिलीरुबिन की मात्रा खून में बढ़ जाती है तो हम कहते हैं की पीलिया हुआ है। बिलीरुबिन क्यों बढ़ता है? इसके कई सारे कारण हो सकते हैं जैसे खून ज़्यादा खराब हो रहा है, किसी को ब्लड कैंसर है या बचपन से ही किसी बच्चे को ब्लड की बीमारी है तो उसका मेटाबोलिज्म ज्यादा फास्ट हो रहा है। जैसे खून में हमारे जो आरबीसी होते हैं उनकी लाइफ होती है। किसी बच्चे को इन्फेक्शन हो गया, वो इन्फेक्शन किसी भी चीज़ का हो सकता है जैसे किसी बैक्टीरिया का हो सकता है, वायरस का या पैरासाइट का होता है। हम कॉमन चीज़ें अगर देखें, बैक्टीरिया है तो टाइफाइड सबसे कॉमन चीज़ है, अगर टाइफाइड हो गया तो उसमें भी हो सकती है। वायरस सबसे कॉमन है। ये जो विषाणु या जीवाणु जो भी है वो लिवर पर अटैक करते हैं और लिवर जो अच्छे से काम कर रहा होता है, उसके काम करने में बाधा लाते हैं। जो रेड ब्लड सेल्स हैं उसमें भी अटैक करते हैं।
Dr. Anant Khangte – दो चीज़ें हैं पहले तो वो लक्षण जो बच्चा हमें खुद बताता है जैसे हो सकता है की उसका पेट दर्द कर रहा हो। या फिर उसको हो सकता है की उल्टी जैसा महसूस हो। खाना खाने का मन ना करे, बच्चा ठीक से खेल नहीं रहा है। बच्चा चुप चुप सा है, खाना कम खा रहा है, पानी कम पी रहा है, उसका यूरिन पीला दिखने लगता है।
Dr. Anant Khangte – पहले तो हमें ये जानना पड़ेगा कि बच्चे को वाकई पीलिया है। उसके लिए सिंपल ब्लड टेस्ट होता है। जितना ज़्यादा बिलीरुबिन उतना ज़्यादा प्रॉब्लम है। ओके सो वी नीड टु फाइन्ड अंडरलाइन कॉज कि बच्चे को बीमारी क्या है। जानने के बाद हम इलाज करेंगे जैसे टाइफाइड हो तो उसका इलाज करेंगे। डेंगू होगा तो डेंगू की ट्रीटमेंट करेंगे या कुछ अलग कारण होगा तो उसकी ट्रीटमेंट करेंगे। जो भी हमारे देश में उपाय करते हैं, माला पहनाते हैं, वो सब अंधविश्वास है, उसे छोड़ देना चाहिए। जैसे शुरुआत में किसी भी बच्चे को कुछ इन्फेक्शन हुआ है तो 5 दिन लगेगा फीवर जाने में, लेकिन ये जो पीलिया जो है ये टाइम लेता है। अगर पांच पॉइंट है तो शायद 7 से 14 दिन लेगा या शायद ज़्यादा भी ले सकता है। बात समझ गए अगर आर बी सी खत्म हो रही है तो वो मेटाबोलिज़म चालू है तो बढ़ता ही जाए। अगर ऑलरेडी कुछ हो चुका है तो जितना है समझो पांच पॉइंट है।
Dr. Anant Khangte – अगर ज़्यादा सीरियस हो जाए तब हो सकता है की हॉस्पिटल में एडमिट करना पड़े।
Dr. Anant Khangte – हाँ, बेसिकली सिंपल डाइट इस मोस्ट इम्पोर्टेन्ट थिंग, जैसे तेल की चीज़ें नहीं खानी है। ज्यादा फैटी चीज़ें नहीं खानी है। ऐसा खाना हो जिससे बच्चे को और तकलीफ ना हो।
Dr. Anant Khangte – हो सकता है। बिल्कुल हो सकता है। बिलुरुबिन की मात्रा अगर बढ़ जाती है तो हो सकता है। बच्चे को जॉन्डिस हुआ है, तो लिवर पर असर होता है। लिवर और किडनी दोनों एकदम मिलकर काम करते हैं। एक अच्छे से काम नहीं करेगा तो दूसरे पर भार आ जाएगा और फिर किडनी पर असर होगा तो वो हार्ट पर असर करेगा और ऐसे अगर मल्टी ऑर्गन फेलियर हो गया तो डेफिनेटली बच्चे को प्रॉब्लम हो सकती है। सो हम उसको जितना जल्दी ट्रीट करें तो बेहतर रहेगा।
Dr. Anant Khangte – थैंक यू सो मच, थैंक यू सो मच।
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