Home » आईवीएफ क्या है और कैसे होता है? [IVF treatment in hindi]
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आज इस ब्लॉग में हम जानेंगे आईवीएफ के बारे में । दिल्ली से डॉक्टर सार्थक बख़्शी दे रहे हैं हमारे सभी सवालों के जवाब। डॉक्टर सार्थक रिसा आईवीएफ सेंटर के फाउंडर हैं।
Doctor | Dr. Saarthak Bakshi |
Hospital / Clinic | Risaa IVF Center, New Delhi |
Watch Full Interview on Youtube | Link to Full Interview Duration : Approx 14 minutes |
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Dr. Saarthak Bakshi – थैंक यू वेरी मच इट्स माय प्लेजर टु बी ए पार्ट ऑफ द जी मनी हेल्थ शो,
Dr. Saarthak Bakshi – देखिये किसी को भी इनफर्टिलिटी हो सकती है। अगर महिला और पुरुष दोनों स्वस्थ हैं तब भी इनफर्टिलिटी हो सकती है। यह एक लाइफ स्टाइल रिलेटेड डिसऑर्डर है। आजकल स्मोकिंग, अल्कोहल, स्ट्रेस, एंग्जायटी, इन्वायरन्मेंट, चेमिकल्स आदि चीजें हैं जिससे इनफर्टिलिटी हो रही है। लोगों को लगता है कि इनफर्टिलिटी सिर्फ औरत की वजह से होती है,ऐसा बिल्कुल नहीं है। पुरुषों की वजह से 50% मामलों में इनफर्टिलिटी होती है और भी कई सारे कारण हैं। यह एक कपल की समस्या है कि सिर्फ महिला ही वजह नहीं होती है ।
Dr. Saarthak Bakshi – आईवीएफ एक सिंपल फर्टिलिटी ट्रीटमेंट है। आमतौर पर आईवीएफ का ट्रीटमेंट ही किया जाता है , लेकिन उसके लिए हमें ये समझना होगा की किन्हें इसकी ज़रूरत पड़ती है। हम पहले डिफाइन करते हैं कि इनफर्टिलिटी क्या है ? कोई भी दंपति संभोग कर रहे हैं। 1 साल से ज़्यादा होगया मगर प्रेगनेंसी नहीं हो रही है, बच्चा नहीं हो रहा है।
अगर महिला अपनी साइकिल मॉनिटर कर रही हैं एंड जो बेस्ट फर्टिलिटी पीरियड होता है जिसको हम डे 14 से लेकर 16 के बीच में कहते हैं और अब काफी ट्राई कर रहे हैं, 1 साल से कर रहे हैं, बट फिर भी सक्सेसफुल नहीं हो पा रहे हैं। कॉन्सेप्शन या प्रेगनैंसी नहीं हो रही है तब हम कहते हैं कि आप अपनी जांच करवाएं, डॉक्टर को बताएं। फिर उस डायग्नोसिस के आधार पर हम सजेस्ट करते हैं कि आपको क्या फर्टिलिटी ट्रीटमेंट चाहिए? आसान होगा अगर कुछ दवाइयों से ठीक हो जाये।
एक प्रकार का ट्रीटमेंट आईयूआई होता है। वो एक फॉर्म ऑफ ट्रीटमेंट है, वो नहीं होता तो आईवीएफ होता है। सो ऐसेकई प्रकार के ट्रीटमेंट हैं जो हमें फिर पहले टेस्ट के साथ करना होता है। एंड जहाँ तक बात रही आईवीएफ की क्योंकि अब ये इतना कॉमन वर्ड हो गया है आईवीएफ का क्लीन सिंपल इंग्लिश टर्मिनॉलॉजी में जिसे बोलते है टेस्ट ट्यूब बेबी ये बड़ा ले मान टर्म बोला गया है ताकि हर आम इंसान को समझ में आ जाए । टेस्ट ट्यूब बेबी एक प्रक्रिया है जो बॉडी के अंदर होनी चाहिए और वो नहीं हो पाती है, हम वो एक लैबोरेट्री में करते हैं। अब लैबोरेट्री को टेस्ट ट्यूब से जोड़ा जाता है।
जबकि इसका टेस्ट ट्यूब से कोई लेना देना नहीं है। पुरुष के स्पर्म्स और औरत के अंडे, इन दोनों को लैब के अंदर मिक्स किया जाता है। यह आपके शरीर के अंदर ऑटोमैटिकली फ्यूज़ होते हैं और जब अंदर नहीं बन पा रहा है तब एक लेबोरेटरी के अंदर दोनों को मिक्स करके फर्टिलाइज़ करते हैं ऐंड फर्टिलाइजेशन के बाद बहुत खूबसूरत प्रक्रिया है। हम तो माइक्रोस्कोप के अंदर देखते है की जैसे अगर आपने
कोई भी साइंस का शो देखा होगा की एक सेल होती है, वन सेल्युलर ऑर्गनाइज़र होता है, वो वन से टू होता है, टू से फ़ोर होता है, ऐसे हम सेल्युलर लेवल पे देख रहे होते हैं की वो कैसे ग्रो करता है ऐंड जब फर्टिलाइज़ होकर वो एम्ब्रियो बनता है। तब हम उसे महिला के अंदर वापस इम्प्लांट करते हैं।
Dr. Saarthak Bakshi – आपने बहुत सही सवाल पूछा है क्योंकि बहुत लोग ये गलतफहमी में रहते हैं या गलत मार्केटिंग में चले जाते हैं की आईवीएफ की 100% गारंटी है। ऐसी कोई गारंटी नहीं है। दुनिया का कोई आइवीएफ सेंटर नहीं है। मैं बिल्कुल स्पष्ट करके कहना चाहता हूँ की इंडिया की बात छोड़िये, पूरे विश्व में ऐसा कोई सेंटर नहीं बोल सकता है की आईवीएफ इस 100% गारंटीड है। हम जो एम्ब्रीओ बना देते हैं बाहर एक लेबोरेटरी के अंदर वापस जब हम बॉडी के अंदर डालते हैं तो वो सक्सेसफुल होगा या नहीं होगा, इसकी आज तक कोई गारंटी नहीं है। इसका सक्सेस रेट जैसे हम डिफाइन करते हैं, जो पहले 30% होता था। आजकल यह 50% के करीब आ गया है। साइंस बेटर होती जा रही है, सक्सेस रेट भी बेहतर होते जा रहे हैं। बहुत लोग हैं, बहुत सारे पेशेंट्स हैं जिनकी तीन आईवीएफ साइकिल फेल हो गयी हैं, चार फेल है, पांच फेल हो जाती हैं, बहुत कारण हो सकते हैं । क्योंकि सक्सेस किसी एक फैक्टर पर निर्भर नहीं करती है।
कई सारे कारक हो सकते हैं, एंडोमेट्रियल लाइनिंग की स्ट्रेंथ कितनी है? हार्मोनल सपोर्ट क्या है? आप मेंटली कितनी स्टेबल हैं? इसलिए अगर आपको कोई कहे की बस आईवीएफ करवा लो, 100 परसेंट सक्सेस की गारंटी है तो वो गलत है।
Dr. Saarthak Bakshi – हाँ जी, जैसे मैंने अभी आपको समझाया अगर आज मैंने वापस बॉडी के अंदर एक एम्ब्रियो डाला, दो डाल दिए, तीन डाल दिए तो हमें पता नहीं होता की कौन सा एम्ब्रियो स्टिक करेगा। हो सकता है दोनों या तीनों इंप्लांट हो जाए। तीनों प्लांट हो जाएंगे तो इस वजह से अगर आप देखेंगे ट्विन्स बढ़ रहे हैं। बिकॉज़ कोई भी जो कराता है, दो या तीन एम्ब्रीओ वापस डालता है ऐंड लक अच्छी होती है तो आपको ट्विन्स प्रेगनेंसी मिल जाती है। कभी कभी ट्रिप्लेट भी मिल जाते हैं ऐंड प्राकृतिक तरीके से अंदर के प्रोसेस होते हैं। मतलब बहुत सारी चीज़ें हो सकती हैं।
Dr. Saarthak Bakshi – कोई डिफरेंस नहीं है। दे
जैसे मैंने शो की शुरुआत में बताया था कि जो नॉर्मल प्रक्रिया हो रही होती है वो नहीं हो पाती, तो आप लैबोरेट्री में करते हैं। बच्चे के जींस उसे माता – पिता से ही मिलते हैं। हर चीज़ जो आप कहते हैं, इंसान की जितना भी जेनेटिक मेकअप है वो माता-पिता से ही मिलता है। अगर आप पैरेन्ट्स का स्पर्म और एग ले रहे हैं तो 100% जेनेटिक मेकअप आपके पेरेंट्स की होगी उनकी शक्ल, आदतें सब कुछ माता-पिता जैसा ही होगा। आदतें तो एक अलग हो गयीं जब वो ग्रो अप कर रहे हैं।
Dr. Saarthak Bakshi – दुनिया का पहला आईवीएफ 1978 में हुआ था। पहली सक्सेसफुल बेबी जो हुई थीं उनका नाम है लुई ब्राउन, वे खुद आज 44 इयर्स की हो चुकी हैं। उनके भी बच्चे हो चुके हैं, तो ऐसा सोचना की कोई साइड इफेक्ट्स हो जाते हैं या कुछ चेंज हो जाता है, ऐसा कुछ नहीं है।
Dr. Saarthak Bakshi – मैंने आपको बताया ना बॉडी में हार्मोनल चेंजेस होते हैं । पर हमेशा इसके एक्सेप्शन भी होते हैं। कई बार नैचुरली जो ट्राई कर रहे हैं वो सक्सेसफुल हो जाता है। हर चीज़ की संभावना रहती है।
Dr. Saarthak Bakshi – थैंक यू, मैं आशा करता हूँ कि मैं ऑडियंस को कुछ नॉलेज दे पाया और उनका अगर और कोई डाउट होगा तो मुझसे पूछ सकते हैं।
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