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बच्चों की सेहत पर ध्यान देना है ज़रूरी !

जी मनी के ज़रिये आप भर सकते हैं अपने हॉस्पिटल का बिल, 12 किश्तों में, बिना किसी ब्याज के|

7 वर्ष से कम उम्र के बच्चों का इम्यून सिस्टम कमज़ोर होता है। बच्चे, विशेष रूप से छोटे बच्चे, बीमारी के प्रति संवेदनशील होते हैं और इसलिए कई बीमारियों के संपर्क में आ जाते हैं। आइये इस ब्लॉग में जानते हैं बच्चों की सेहत से जुड़ी अहम बातें।

Doctor

Dr. Harpreet Singh

Hospital / Clinic

Guru Nanak Hospital. Bhogpur, Punjab

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Duration: 6.23 minutes

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GMoney Anchor - जी मनी हेल्थ शो में मैं मीनाक्षी आप सभी का बहुत-बहुत स्वागत करती हूँ। शो देखने से पहले आपको ये काम करना है। हमारे यूट्यूब चैनल को लाइक शेयर सब्सक्राइब ज़रूर कीजिये। बुला रही हूँ डॉक्टर हरप्रीत सिंह को जो गुरुनानक हॉस्पिटल में प्रैक्टिस कर रहे हैं जो कि भोगपुर में स्तिथ है। हैलो डॉक्टर ।

Dr. Harpreet Singh – हाँ जी मैडम, गुड मॉर्निंग। कैसे हो?

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GMoney Anchor - सर बिलकुल बढ़िया। सर वो आम बीमारियां कौन कौन सी हैं जो बच्चों को हो जाती हैं?

Dr. Harpreet Singh – हाँ जी मैडम। वैसे बच्चों में जो नॉर्मल इन्फेक्शन होते हैं, वो फ़्लू है।  सबसे पहले कोल्ड होता है, तो कोल्ड में भी 200 तरह के वायरस होते हैं। इसमें इन्फेक्शन्स होंगे। इसको हम निमोनिया बोलते हैं। हम कभी कभी कहते हैं की ठंड लग गयी है बच्चे को और रनिंग नोस हो गया। कान का इन्फेक्शन भी बच्चों को बहुत होता है। ये इन्फेक्शन बच्चों में आम तौर पर रहती है। और हाँ एक होता है पेट खराब जिसे हम गैस्ट्रोएन्टराइटिस बोलते है, वो भी बच्चों में बड़ा कॉमन रहता है।

GMoney Anchor - आपने अच्छे तरीके से सारी बीमारियां एक्सप्लेन कर दीं जो बच्चों में होती हैं। अच्छा डॉक्टर मैं आपसे पूछना चाहूंगी कि क्यों ऐसा होता है कि बच्चों को बीमारियां जल्दी पकड़ लेती हैं? इसकी वजह क्या है?

Dr. Harpreet Singh – हाँ जी मैडम, दरअसल बच्चों का इम्यून सिस्टम कमज़ोर होता है, अभी वो डेवलपिंग स्टेज में होता है, इसलिए बच्चे जल्दी इन्फेक्शन को पकड़ लेते हैं।

GMoney Anchor - क्या कुछ ऐसी भी बीमारियां हैं जो सिर्फ बच्चों पर ही असर करती हैं?

Dr. Harpreet Singh – हाँ जी मैडम, कुछ फ्लू हैं जिसे हम कोल्ड बोलते हैं, वो बच्चों में ही ज़्यादा होते हैं। 2 साल के जो छोटे बच्चे होते हैं  उन्हें बहुत होते हैं। जो पेट के इन्फेक्शन से होती है उसे हम स्टमक फ्लू बोलते हैं और कई ऐसी बीमारियां हैं जैसे झटके आना तो वो बुखार से सम्बंधित है। बच्चों में ज्यादा बुखार होगा तो बच्चो को झटके आते हैं पर ये बड़ों में नहीं आते।

GMoney Anchor - ओके सो डॉक्टर जैसे की हम बड़े लोग है, हम तो बता देंगे ऐसी तकलीफ महसूस हो रही है, क्या सिम्प्टम है, पर बच्चे ठीक से बता नहीं पाते हैं तो उनमें वो लक्षण क्या होते हैं जिससे हमें तुरंत सीधा डॉक्टर के पास जाना चाहिए?

Dr. Harpreet Singh – हाँ जी, अगर आपको लगे की आपका बच्चा ठीक से दूध नहीं पी रहा। मां को पता लग जाता है की बच्चा ढंग से दूध नहीं पी रहा, सो नहीं रहा। सबसे बड़ी बात बच्चा हंस-खेल नहीं कर रहा है। 

तो सबसे अच्छा डॉक्टर जो होता है वो मां होती है। तो वो सबसे अच्छा साइन होता है की डॉक्टर के पास जाना है।

GMoney Anchor - राइट बहुत अच्छी बात आपने बोली की मां समझ जाती है, जभी भी वो उसे लगता है अगर की मेरे बच्चे में कोई प्रॉब्लम है। अच्छा डॉक्टर मैंने पढ़ा था आप मुझे बताइए कितना सही, कितना नहीं? उस आर्टिकल के मुताबिक़ निमोनिया इस लीडिंग कॉस ऑफ डेथ अमंग चिल्ड्रेन, सो क्या ये आंकड़ा सच है? आप इसके बारे में क्या कहना चाहेंगे?

Dr. Harpreet Singh – हाँ जी मैडम, निमोनिया का मुख्य प्रॉब्लम है कि पेशंट इसको नज़रअंदाज़ बहुत करते हैं।  किसी को लगता है बच्चे को खांसी है, तीन-चार दिन से बच्चा दूध भी नहीं पी रहा है और बच्चा सो भी नहीं रहा तो लोग ध्यान नहीं देते हैं। जब उनको पता लगता है बच्चा बिल्कुल ही ठीक नहीं है। फिर वो एकदम से लेकर हॉस्पिटल दौड़ते हैं। इसलिए बच्चे की सेहत में थोड़ा भी बदलाव नज़र आये तो डॉक्टर को दिखाओ, क्योंकि डॉक्टर जो जांच करेगा वो घर वाले नहीं कर पाते।

GMoney Anchor - बिल्कुल सही। अगर आप कोई टिप्स देना चाहते हैं, बच्चों की सही देखभाल के ऊपर, तो आप क्या कहेंगे?

Dr. Harpreet Singh – छोटे बच्चे को मां का दूध ही पिलाया जाए। बच्चे की सेहत पर पूरा ध्यान दें।

GMoney Anchor - थैंक यू सो मच डॉक्टर। आपने अपने बिज़ी शेड्यूल से जी मनी हेल्थ शो के लिए टाइम निकाला। पूरी टीम तहेदिल से आपको शुक्रिया अदा करना चाहती है। सो ये तो डॉक्टर हरप्रीत सिंह जिन्होंने बच्चों की सेहत से जुड़ी बहुत अच्छी बातें हमें बतायीं। जरूर लिखिएगा मैं आऊंगी नेक्स्ट शो में एक नए सुपर स्पेशलिस्ट डॉक्टर के साथ, तब तक अपना ख्याल रखिये क्योंकि अच्छी सेहत हमारा वादा।

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