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छोटे बच्चों को क्यों लग रहे हैं चश्मे ? कमज़ोर आंखों का असल कारण !

जी मनी के ज़रिये आप भर सकते हैं अपने हॉस्पिटल का बिल, 12 किश्तों में, बिना किसी ब्याज के|

Doctor

Dr. Saman Garg

Hospital / Clinic

KG Eye Care Center, Patiala, Punjab

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Duration: 5:53 minutes

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GMoney Anchor - पहला सवाल आपसे ये होगा की बच्चों में नज़र कमज़ोर होने की वजह क्या हैं?

Dr. Saman Gargनमस्कार।

बच्चों में नज़र कमज़ोर होने पर चश्मा लगता है। इसको हम टेक्निकल भाषा में रिफ्रेक्टिव एरर भी कह सकते हैं। यह भी दो तरह का होता है एक मायोपिया जिसमें माइनस का चश्मा लगता है और एक हाइपरमायोपिया  है, जिसमें प्लस का नंबर लगता है तो माइनस का नंबर लगेगा या प्लस का नंबर लगेगा। तो आमतौर पर चश्मे का लगना यानी रिफ्रेक्टिव एरर ही सबसे कॉमन कारण है लो विज़न का और इसमें भी जो हम देखते हैं, सबसे कॉमन कारण है, आजकल बच्चों का बहुत ज़्यादा मोबाइल देखना, लैपटॉप यूज़ करना, टीवी देखना और गलत तरीके से इनका इस्तेमाल करना।

लेटे हुए टीवी देखना, मोबाइल देखना, या अंधेरे में मोबाइल देखना। वाकई मोबाइल ज्यादा देखने से चश्मे का नम्बर लगता है और इसका कारण भी हम बता सकते हैं।

cause of eye problem

GMoney Anchor - अगर मैं लक्षण की बात करूं तो बच्चों की आँखों की रौशनी कमजोर होती है, उन्हें ब्लर दिखाई देता है। क्या इसके अलावा कोई और भी लक्षण होते हैं ?

Dr. Saman Garg – इसका सबसे कॉमन लक्षण होगा कि बच्चे को पीछे बैठ के ब्लैक बोर्ड कम दिखेगा और कुछ बच्चे उसके हैबिट को ठीक करने के लिए अपनी आँखों को अगर आप देख सके तो ऐसे स्क्वीज़ करते हैं। 

आँखों को स्क्वीज़ करना और पीछे बैठकर ब्लैकबोर्ड न दिखना या किसी भी चीज़ को बहुत ज्यादा पास करके देखना।

तो ये सभी सिम्पटम्स हैं कि बच्चे को चश्मे की जरूरत है और अगर चश्मा नहीं लगेगा तो इसकी वजह से आंखो में जलन होना, पानी आना, सिरदर्द होना । ये सारे सिम्पटम्स जो है हमे देखने को मिलेंगे।

GMoney Anchor - रात में लो विज़न की दिक्कत बढ़ जाती है। क्या इसमें सच्चाई है या फिर ये सिर्फ एक मिथ है?

Dr. Saman Garg – नहीं ऐसा तो नहीं है की ये प्रॉब्लम रात में बढ़ जाएगी। तो अगर आपको चश्मा लगा हुआ है, चाहे आधे नंबर का ही क्यों ना हो तो आप जब रात को शाम को कोई भी गाड़ी चलाएंगे तो उसका प्रभाव आपको ज़्यादा महसूस होगा क्योंकि रात को हमें स्वाभाविक तौर पर पूरी शार्प नज़र की ज़रूरत पड़ती है। पर ऐसा नहीं है कि वो सिम्प्टम सिर्फ रात को ही आएगा। अगर चश्मे की ज़रूरत है तो सुबह से शाम हमेशा ही रहेगी।

GMoney Anchor - डॉक्टर किस तरह से इसका इलाज किया जाता है ?

Dr. Saman Garg – देखिये, इसका तो आसान सा इलाज है, जो मायोपिया वाली प्रॉब्लम है, जिसमें माइनस का चश्मा लगता है।

यदि किसी को चश्मे का नंबर है तो हमारी सलाह है कि कम से कम चार या छह महीने में एक बार जरूर आई स्पेशलिस्ट से जांच करवाएं।

GMoney Anchor - डॉक्टर बस मेरा आपसे आखिरी सवाल ये होगा की माता पिता अपने बच्चों की आँखों का ख्याल कैसे रखें?

Dr. Saman Garg – बच्चो को आप मोबाइल ज्यादा इस्तेमाल न करने दें। अगर बच्चे की मम्मा सारा दिन मोबाइल यूज़ करती है तो हम बच्चे से एक्सपेक्ट नहीं कर सकते हैं के वो मोबाइल नहीं यूज़ करेगा।तो पेरेंट्स को भी ध्यान रखना पड़ेगा और बेड पे लेट के या अंधेरे में मोबाइल या टीवी ना देखें। इसके अलावा एंटीऑक्सीडेंट, विटामिन ए, सी और ई, जो की आपको कैरेट में या गर्मियों में मैंगो में मिल जाता है वो खाएं। दूध में भी विटामिन ए है। इसके अलावा ग्रीन वेजिटेबल्स है। पपीता या पपाया है या अनार है और पांच बादाम रात को भिगो के सुबह खानी है।

GMoney Anchor - थैंक यू सो वेरी मच डॉक्टर, बहुत अच्छा लगा आपसे बात करके। जी मनी हेल्थ शो की पूरी टीम आपको थैंक यू कहना चाहती है।

Dr. Saman Garg – धन्यवाद ।

GMoney Anchor - ये थी मेरे साथ डॉक्टर जिन्होंने बहुत अच्छे तरीके से हमें बताया है कि हम अपने आँखों का ख्याल कैसे रख सकते हैं। ये सारे टिप्स आपके भी बहुत काम की हैं। अगर मन में कोई सवाल रह गया है तो आप मुझे कमेंट सेक्शन में लिख सकते हैं। मैं आऊंगी नेक्स्ट शो में एक नए सुपर स्पेशलिस्ट डॉक्टर के साथ टिल देन अपना ख्याल रखिए, क्योंकि अच्छी सेहत हमारा वादा

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