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कान की सफ़ाई कैसे करें ? [Ear infection in hindi]

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कान शरीर का ऐसा अंग है, जिसकी देखभाल और सफ़ाई के बारे में अक्सर लोगों को सही जानकारी नहीं होती है। इस ब्लॉग में डॉक्टर अमोल जोशी दे रहे हैं सभी सवालों के जवाब। 

Doctor

Dr. Amol Joshi

Hospital / ClinicSanDeep ENT Hospital, Pune
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Duration : Approx 15 minutes
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GMoney Anchor - कहते हैं जो कान के कच्चे लोग होते हैं ना उनकी सबसे लड़ाई होती रहती है। मैं कहती हूँ कान के कच्चे हो तो कोई बात नहीं है। बस कान में दर्द नहीं होना चाहिए क्योंकि वो बड़ी मुसीबत की जड़ बन सकती है और आज हम इसी पर चर्चा करेंगे क्योंकि जी मनी हेल्थ शो में हमारे साथ पुणे से जुड़े हैं डॉक्टर अमोल जोशी, जो की एक ईएनटी सर्जन हैं, पिछले 12 सालों से प्रैक्टिस कर रहे हैं। एक जाना माना नाम हैं पुणे में और डायरेक्टर हैं साईदीप ईएनटी हॉस्पिटल पुणे के। बहुत बहुत स्वागत है आपका।

Dr. Amol Joshi – नमस्ते, थैंक यू सो मच।

GMoney Anchor- थैंक यू सो मच सर और जैसे की आज के शो की मैंने शुरुआत की। कान का दर्द जो की बड़ा पेनफुल होता है और हम अनदेखा कर देते हैं तो उसी पर आज चर्चा करेंगे। हमें थोड़ा डिटेल में आप बताइए ओटाइटिस क्यों होता है, किस वजह से होता है और शुरुआती लक्षण क्या होते हैं?

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Dr. Amol Joshi – ओटाइटिस, ये ऐक्चूअली कान का इन्फेक्शन होता है। सूजन आने के बहुत सारे कारण हो सकते हैं। समझिये की कान में कोई फंगल इन्फेक्शन हो गया तो वो भी एक ओटिटिस का ही टाइप है। कुछ ओटाइटिस ऐसे भी हैं जिसमे

इन्फेक्शन नहीं होगा पर फिर भी वहाँ पे सूजन आ सकती है या कान में पानी जमा हो सकता है। जैसे मैंने बताया की बहुत सारे कारण हैं तो मुख्य कारण दो हो सकते हैं। आपने बाहर से कान में कुछ डाला, वो नहाते वक्त पानी चला गया, स्विमिंग करते हुए पानी नहीं गया या बाहर से कुछ डाल दिया। दूसरा एक होता है, आपको ज़ुकाम  हो गया, इन्फेक्शन हो गया।

अब इसके लक्षणों में सबसे पहला लक्षण रहता है सूजन आना शुरू हो जाता है। कान के पर्दे में पेन शुरू हो जाता है। ये पेन

मेजोरिटी केसेस में रात के समय या ऐसे समय होता है जब आपको कोई बाहर की हेल्प नहीं मिल सकती है। मुश्किल होता है ठंडे मौसम में, क्योंकि तब कान दर्द होने के आसार ज़्यादा रहते हैं। शुरुआत में पतला पानी जैसे आएगा फिर धीरे-धीरे उसमें पीला रंग आने लगता है। धीरे-धीर सुनने में भी तकलीफ़ होने लगती है।

GMoney Anchor - अच्छा डॉक्टर ने हमें कान के दर्द के बारे में बताया। कई चीज़ें जो हमारे व्यूअर्स को पता भी नहीं, उम्मीद है पता चल गयी होगी। अब ये बताइए की क्या ये बच्चों में ज्यादा देखने को मिलता है? मैं भी जब छोटी थी, मुझे भी कान का दर्द बड़ा सताता था और बच्चे नादान होते हैं इसलिए ज़्यादा इमपेशेंट हो जाते हैं। अक्सर पैरेन्ट्स भी इस चीज़ को नज़रअन्दाज़ कर देते हैं की कोई बात नहीं ठीक हो जाएगा। आपकी इसपर क्या राय है ?

Dr. Amol Joshi यहाँ बच्चों में ये चीज़ कॉमन है, बड़ों से ज़्यादा हो सकती है। उसका सिंपल रीज़न ये है की नाक और कान को कनेक्ट करने का एक कनेक्शन अंदर होता है। बच्चों को थोड़ा भी ज़ुकाम हुआ, थोड़ा भी इन्फेक्शन हो गया तो वो कान दर्द का कारण बन सकता है। ये टेंडेंसी एडल्ट्स में इतनी नहीं है। समझो की 10 लोगों को ज़ुकाम हुआ है। तो उसमें हार्डली एक व्यक्ति को कान में प्रॉब्लम होगा। बच्चों में यही आंकड़ा 4-5 तक हो सकता है इसलिए बच्चों में ये कॉमन है। और एक रीज़न है बच्चों में कॉमन होने का, बच्चो में जैसे टॉन्सिल सुना होगा, गले में वैसे ही नाक के पीछे और एक टॉन्सिल होता है। अगर बच्चों में टॉन्सिल बड़ा है तो वो कान के इन्फेक्शन का कारण बन सकता है।

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GMoney Anchor - ओके, ऐंड डॉक्टर जोशी आपने समझाया कि बच्चों को कान दर्द क्यों ज़्यादा होता है? अब मेरा ये सवाल है कि कई बार ऐसा देखा जाता है की अब बच्चे को कान में दर्द हुआ, माँ बाप बोलते रहे, कोई बात नहीं है, तुम्हें वहम हो रहा है, डॉक्टर को नहीं दिखाते, कुछ ना कुछ कह के नज़रअन्दाज़ कर देते हैं। डॉक्टर को लेट दिखाते हैं। अब आप ये बताएं की अगर इसका सही समय पर इलाज नहीं होगा तो क्या आगे चलकर ये कोई गंभीर रूप ले सकता है?

Dr. Amol Joshiकरेक्ट। क्या होता है कई बार ये बहुत सिंपल रीज़न से भी पेन होते हैं। अगर थोड़ा सा वैक्स हो गया। वो काफी हार्ड है। बच्चे ने कुछ कान में डाल दिया तो वो अंदर प्रवेश हो गया। उससे भी पेन हो गया।

कान में एक प्रॉब्लम ये है की कान की जितनी गंभीर बीमारियां हैं, उसमें तेल बहुत हल्का होता है।

ये जो हल्का-हल्का बच्चे बोलते हैं ना दर्द हो रहा है। एक बात समझने की ज़रूरत है आपके कान के बहुत ही पास में पूरा ब्रेन है, कान के पीछे भी ब्रेन है, ऊपर के हिस्से में भी ब्रेन है। इसलिए अगर कोई पेन 2-3  दिन से ज्यादा दिन है, एक बच्चा कंप्लेंट कर रहा है, भले ही वो पेन बहुत तेज ना हो, हल्की हो, आपको उसको अटेंशन देना पड़ेगा।

GMoney Anchor - आपने बिलकुल सही कहा और देखिये आपका बच्चा है अगर वो शिकायत कर रहा है कि उसके कान में दर्द हो रहा है, भले ही वो कम भी है, उसे नज़रअन्दाज़ मत करिए । अपने नजदीकी ईएनटी स्पेशलिस्ट, ईएनटी सर्जन से जांच ज़रूर करवायें। अब उपचार भी आप हमें बताइए की किस तरीके से ट्रीटमेंट किया जाता है, बच्चों का ट्रीटमेंट क्या बड़ों के ट्रीटमेंट से अलग होता है, कितने समय तक लेना पड़ता है?

Dr. Amol Joshiअरे जनरली ये जो ओटिटिस है इसका मेजोरिटी ट्रीटमेंट मेडिकल ट्रीटमेंट होता है, तो मेडिकल ट्रीटमेंट में क्या-क्या आता है? किसी को फंगल इन्फेक्शन हुआ तो उसके लिए कुछ अलग से एंटी फंगल ड्रॉप्स होते हैं। मान लीजिए की किसी को इन्फेक्शन हुआ और वह ड्रॉप डालता रहा तो कान और खराब हो जायेगा एक छोटा सा प्रोसीज़र होता है उसके लिए कभी-कभी अगर तीन चार हफ्ते दवाएं लीं आपने तीन हफ्ते ऐंटिबायॉटिक्स वगैरह का कोर्स लिया फिर भी अगर नहीं जा रहा है तो वो सर्जिकल केस बन जाता है। 

समझो किसी के परदे में छेद हो गया। इसमें सर्जिकल ट्रीटमेंट का रोल आता है। सपोज़ अगर टू थ्री वीक्स के बाद भी आपका प्रॉब्लम है तो सिंपल टेस्ट किये जाते हैं। एक एंडोस्कोपी होती है। अच्छा। तो ऐसे कुछ ये सारे टेस्ट एक्चुअली देखा जाये तो बहुत चीप है लेकिन बहुत यूज़फुल है। आप कान के डिसीसेस बहुत अच्छे से डाइग्नोस कर सकते हैं तो इसको नज़रअंदाज़ करने से अच्छा है की आप कहीं भी अपने पास की कान के सर्जन के पास जाइए। उनको कान दिखाइए। अगर उन्होंने कुछ टेस्ट रिकमेंड किया तो वो कीजिये और

ट्रीटमेंट कराएं।

GMoney Anchor - डेफिनेटली सर। आपने हमें सारी चीजें भी यहाँ पर बताई और अब मैं आपसे यह जानना चाहती हूँ की हमारे डेंटिस्ट कहते हैं कि हर छह महीने में डेंटल क्लीनिंग करवानी चाहिए। गाइनकॉलजिस्ट कहते हैं, साल में एक बार जरूर दिखाना चाहिए तो कान का चेकअप कब करवाना चाहिए?

Dr. Amol Joshiअक्सर लोग जब कान साफ करना हो, तो हाथ में जो आया उससे साफ कर देते हैं। एक बात समझिये कभी कान में पानी चला गया। नहाते वक्त स्विमिंग करते वक्त तो उसको बहुत रफली साफ़ मत कीजिए। जो लोग इयरफोन का ज़्यादा इस्तेमाल करते हैं उन्हें साल में एक बार ऑडियोमेट्री का टेस्ट ज़रूर करवाना चाहिए। इसलिए दो ही चीज़ हैं एक तो एक्सटरनली कुछ मत डालिये और जिनका कान का यूज़ बहुत ज़्यादा है। टेलीफोन का यूज़ बहुत ज्यादा है। उन्हें साल में एक बार ज़रूर एक सिंपल ऑडियोमेट्री करानी चाहिए, जिससे आपको हियरिंग का पता चले।

GMoney Anchor - कान की सफ़ाई कैसे करनी चाहिए ?

Dr. Amol Joshiसफ़ाई ज़रूरी नहीं, भगवान ने ऐसा मेकेनिज़म बनाया है कि कान का मैल अपने आप बाहर आता है, हमें महसूस होता है और फिंगर से निकल जाता है। सिर्फ 5% या 10% लोग हैं, जिनको बहुत ज़्यादा वैक्स बनता है। उन्हीं को डॉक्टर के पास एक या 2 साल में जाके क्लीन करवाना पड़ता है।

GMoney Anchor - ओके तो यानी की कान की भी क्लीनिंग होती है। मतलब डॉक्टर के पास जाकर आप कान भी साफ करवा दें।

Dr. Amol Joshiअगर किसी को बहुत ज्यादा वैक्स हो गया। उसको उस कान से सुनाई नहीं दे रहा है। पेन हो रहा है तो हम लोग सारा मैल निकाल लेते हैं। 20 – 25 मिनट का छोटा सा ओपीडी प्रोसीज़र रहता है।

GMoney Anchor - ओके तो डॉक्टर हमारे शो का एक सेगमेन्ट है टिप ऑफ द डे। तो कोई एक छोटी सी सिंपल सी, कोई एक इयर केयर टिप्स, जो आप सभी व्यूअर्स को देना चाहें।

Dr. Amol Joshiसिंपल टिप है, एक सेंसिंग मोबाइल या ब्लूटूथ का यूज़ मत कीजिए।

GMoney Anchor - थैंक यू सो मच डॉक्टर अमोल जोशी आप हमारे शो से जुड़े, आपने अपना कीमती वक्त निकाला और इतने अच्छे टिप्स हम सबको दिए। थैंक यू सो मच। तो ये थे डॉक्टर अमोल जोशी जिनसे आज हमने बात की ओटाइटिस के बारे में। लेकिन छोटी-छोटी चीज़ें गंभीर बीमारी का रूप ले लेती हैं और हमें पता भी नहीं चलता है और घर में बच्चे हैं तो डेफिनेटली थोड़ी एक्स्ट्रा देखभाल और सावधानी की ज़रूरत है। उम्मीद करती हूँ आपको आज का ये वीडियो पसंद आया होगा। आपका कोई फीडबैक है या कोई सवाल है तो आप कमेंट बॉक्स में पोस्ट कर के हमें ज़रूर बता सकते हैं। मैं नेहा बजाज आपसे लेती हूँ इजाज़त, मिलूँगी जी मनी हेल्थ शो के एक नए एपिसोड में, नए सुपर स्पेशलिस्ट, नए मेडिकल एक्स्पर्ट के साथ। तब तक सेहत का ख्याल रखिये, स्वस्थ रहिए, मस्त रहिए और देखते रहिए जी मनी हेल्थ शो।

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